राहुल गाँधी के कश्मीर दौरे के निहितार्थ


जैसा कि हम सभी हमेशा से यह जानते हैं कि राहुल गांधी को 2014 में बतौर पीएम प्रत्याशी प्रोजेक्‍ट करने की प्‍लानिंग कांग्रेस बना चुकी है. अब वे प्रधानमन्त्री बन पाते हैं या नहीं यह तो समय ही बताएगा परन्तु वह पूरी तरह से इस कार्य में लगे हुए हैं.

आजकल वह कश्मीर का दौरा कर रहे हैं. कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और मुसलमान कांग्रेस का वोटबैंक भी है. अतः वह इनको लुभाने के लिए पहुंचे हुए हैं.







यहाँ आने के उनके दो मुख्य उद्देश्य हैं :-

1. राष्‍ट्रीय छवि बनाना

प्रतीक्षित  पीएम  राहुल गाँधी के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि कश्‍मीर से लेकर कन्‍या कुमारी तक लोग उन्‍हें जाने. खास तौर से देश का युवा मतदाता वर्ग. राहुल इसमें सफल होते हैं, तो 2014 के लिये राहुल के वोट पक्‍के हो सकते हैं.



2. बड़ी योजनाओं का उल्लेख कर यूपीए का प्रचार करना

ज़ोजिला पास पर छह महीने तक बर्फ जमे रहने के कारण लद्दाख देश से कटा-कटा रहता है. लिहाजा यहां पर एक टनल बनाने का काम शुरू किया जा रहा है. गुरुवार को इसकी नींव डाली गई. इस प्रोजेक्‍ट की कीमत 2,680 करोड़ रुपए है. राज्‍य के लोग यह न सोचें कि यह टनल उमर सरकार ने बनाकर दी है, इसीलिये राहुल केंद्र को क्रेडिट दिलवाने यहां पहुंचे हैं. इस मौके पर उन्‍होंने सोनमर्ग को जोड़ने के लिये एक नई टनल का भी ऐलान कर दिया है.


3. केंद्र को श्रेय दिलवाना

साथ ही 2010 के बादल फटने की घटना को याद दिलाते हुए लोगों को यह अहसास करा दिया कि केंद्र ने लेह को बर्बादी से उबारने के लिये ढेर सारा पैसा रिलीज़ किया था. उन्‍होंने यह अहसास कुछ इस तरह दिलाया, "2010 में जब मैं यहां आया था तो बादल फटने के कारण चारों तरफ मातम छाया हुआ था. आज मैं खुश हों यहां त्‍योहार जैसे माहौल को दूख कर. केंद्र ने लेह को फिर से विकसित करने के लिये अच्‍छी मात्रा में पैसा दिया था. हम खुश हैं आपके चेहरे पर मुस्‍कुराहट देखकर."

इस  प्रकार राहुल एकाग्र भाव से लोगों को यह बताने में लगे हुए हैं कि मैं ही इस देश का अगला प्रधानमन्त्री हूँ.
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